शीतली और शीतकारी प्राणायाम के फायदे, जानें करने का तरीका और सावधानियां

आज योग का महत्व बढ़ता जा रहा है, क्योंकि सभी चिकित्सा पद्धति में योग एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसे आप असानी से घर पर सकते हैं। योग चिकित्सा पद्धति की  सबसे बड़ी खासियत यह है कि आप एक योग द्वारा कई बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। ऐसे ही कुछ योगासन हैं, वो हैं शीतली और शीतकारी प्राणायाम। ये दोनों प्राणायाम बहुत फायदेमंद हैं।    

शीतली का अर्थ है शीतल। इसका अर्थ शांत, विरक्त और भावहीन भी होता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह प्राणायाम पूरे शरीर को शीतल करता है। शीतकारी प्राणायाम की तरह ही यह प्राणायाम भी विशेष तौर पर शरीर का ताप कम करने के लिए बनाया गया है। इस प्राणायाम का अभ्यास न सिर्फ भौतिक शरीर को शीतल करता है बल्कि मस्तिष्क को भी शांत करता है। इस प्राणायाम का अभ्यास गर्मी में ज़्यदा से ज़्यदा करनी चाहिए और शर्दी के मौसम में नहीं के बराबर करनी चाहिए।

शीतकारी प्राणायाम शरीर को ठंडा करता है। शीतकारी प्राणायाम का उल्लेख हठ योग प्रदीपिका में किया गया है।शीतकारी, शीतली प्राणायाम से काफी मिलती-जुलती है। शीतकारी में, जीभ को एक नाली (ट्यूब) की तरह नहीं बनाया जाता। इसके बजाय, ऊपरी तले को छुवाह जाता है। फिर दांतों को जकड़ा जाता है और होठों को अलग रखा जाता है। जिन लोगों को शीतली प्राणायाम करना कठिन लगता है वे आसानी से शीतकारी अभ्यास कर सकते हैं और इसी तरह के लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आइए योग गुरु सुनील सिंह जानते हैं शीतली और शीतकारी प्राणायाम के फायदे, करने तरीके और सावधनियां।

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